बिस्लेरी नहीं बिकेगी! टूट गई टाटा-बिसलेरी की डील, जानें कहां फंस गया पेंच
Tata Consumer-Bisleri Deal: ब्लूमबर्ग ने पहले इस मामले की जानकारी रखने वालों का हवाला देते हुए रिपोर्ट दी थी कि डील की बातचीत वैल्यूएशन को लेकर ठप हो गई थी.
नई दिल्ली: टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (Tata Consumer Products Ltd.) ने बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनी बिस्लेरी (Bisleri International Pvt.) को खरीदने के लिए बातचीत को बंद कर दिया है.
ब्लूमबर्ग में छपी खबर के मुताबिक - टाटा समूह की कंपनी ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया है कि कंपनी ने अब संभावित लेनदेन के लिए बिस्लेरी के साथ "बातचीत बंद कर दी है" और इस मामले पर किसी भी निश्चित एग्रीमेंट या बाध्यकारी प्रतिबद्धता को नहीं किया गया है.
ब्लूमबर्ग ने पहले इस मामले की जानकारी रखने वालों का हवाला देते हुए रिपोर्ट दी थी कि डील की बातचीत वैल्यूएशन को लेकर ठप हो गई थी.
वॉलिंटियरी डिस्क्लोजर में न्यूज रिपोर्ट्स के बाद ये आया कि रमेश चौहान इस बिक्री के लिए टाटा समूह के साथ बातचीत कर रहे थे. इकोनॉमिक टाइम्स ने पहली बार नवंबर में इस बारे में खबर दी थी. चौहान ने BQ प्राइम से इस बात की पुष्टि भी की थी कि वो टाटा समूह की कंपनी के साथ बातचीत कर रहे हैं.
7000 करोड़ में डील फाइनल होने की चल रही थी बात
रायटर्स की खबर के अनुसार शुक्रवार को टाटा कंज्यूमर ने कहा है कि उसने बिसलेरी इंटरनेशनल खरीदने के लिए चल रही बातचीत को खत्म कर दिया है। असल में नवंबर में ईटी की रिपोर्ट के अनुसार यह जानकारी आई थी कि रमेश चौहान टाटा ग्रुप को बिसलेरी 7000 करोड़ रुपये में बेच सकते हैं। हालांकि डील टूटने पर फिलहाल बिसलेरी के तरफ से रायटर्स को कई जवाब नहीं मिला है।
खबरों के अनुसार दोनों कंपनियों के बीच डील के वैल्यूएशन को लेकर बात अटक गई है। जिसकी वजह से टाटा ग्रुप ने इस डील से हटने का बयान जारी किया है। असल में जिस कीमत पर बिसलेरी की अधिकतम हिस्सेदारी रमेश चौहान बेचना चाह रहे थे, उस पर टाटा ग्रुप राजी नहीं हुआ। अब यह देखना है कि इस डील के टूटने के बाद बिसलेरी को बेचने का फैसला रमेश चौहान बरकरार रखते हैं, या फिर खुद ही कंपनी को संभालेंगे।
कौन हैं रमेश चौहान
असल में रमेश चौहान इस समय 82 साल के हो चुके हैं। और जैसा कि उन्होंने पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि कारोबार को संभावने के लिए कोई उत्तराधिकारी नहीं है। क्योंकि उनकी बेटी जयंती को इस कंपनी को आगे ले जाने में उतनी दिलचस्पी है। जिसकी वजह से उन्होंने कंपनी को बेचने का फैसला किया है। लेकिन बिसलेरी को ब्रांड बनाने में रमेश चौहान का सफलता की कहानी कइयों के लिए मिसाल है।
बिसलेरी को 1969 में रमेश चौहान ने इटली की कंपनी बिसलेरी लिमिटेड को खरीदा था। और उसके बाद से सोडा ब्रांड और बाद में बोतलबंद पानी के बाजार में कंपनी ने नई ऊंचाइयों को छुआ। और इस समय उसका बाजार में एक छत्र राज्य है। रमेश चौहान ने थम्स अप, गोल्ड स्पॉट, सिट्रा, माजा और लिम्का जैसे ब्रांड भी स्थापित किए। लेकिन उन्होंने बाद में इसे कोका-कोला को बेच दिया। और पूरी तरह से बोतलबंद पानी के कारोबार पर फोकस कर लिया।