राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हम अपने धर्म को भूलकर स्वार्थ के अधीन हो गए हैं, इसलिए समाज में छुआछूत चला, ऊंच-नीच का भाव बढ़ा। हमें इस भाव को पूरी तरह मिटा देना है।

उन्होंने आगे कहा कि देश में समरसता होनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति अपने आप को भारत का नागरिक समझें। असमानता और छुआछूत को रोकने के लिए स्वयंसेवक आगे आएं। कहां पिछड़ रहे हैं, इस बारे में चर्चा की जरूरत है।

गरीबों के घर जाएं स्वयंसेवक: मोहन भागवत

सर संघचालक ने आगे कहा कि गरीब के साथ जुड़ाव रखें। उन्हें घर लेकर आएं और उनके घर भी जाएं। गांव के गरीब परिवारों को आगे बढ़ाने के बारे में सोचें।

मोहन भागवत ने आगे कहा,"अगर इस देश में कुछ गलत होता है, तो इसका असर हिंदू समाज पर पड़ता है, क्योंकि यह देश का कर्ता-धर्ता है, लेकिन अगर देश में कुछ अच्छा होता है, तो इससे हिंदुओं की शान बढ़ती है।"

सामाजिक समरसता के माध्यम से परिवर्तन लाना है: मोहन भागवत

भागवत इन दिनों राजस्थान में अलवर जिले के प्रवास पर हैं। रविवार सुबह इंदिरा गांधी खेल मैदान में स्वयंसेवकों से संवाद करने के साथ ही उन्होंने पौधारोपण भी किया। उन्होंने स्वयंसेवकों से सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुम्ब प्रबोधन, स्व का भाव और नागरिक अनुशासन इन पांच विषयों को जीवन में उतारने का आह्वान करते हुए कहा कि सामाजिक समरसता के माध्यम से परिवर्तन लाना है।

जहां संघ का काम प्रभावी है, वहां कम से कम मंदिर, पानी व श्मशान सभी हिंदुओं के लिए खुले हों। हमने प्रार्थना में ही कहा है कि यह हिंदू राष्ट्र है।

रण में जाए बिना भी देश सेवा की जा सकती है: मोहन भागवत

राष्ट्र में अच्छा होता है तो हिंदू समाज की कीर्ति बढ़ती है। अब संघ को सब जानते एवं मानते हैं। जो लोग विरोध करते हैं, वे भी मानते हैं। उन्होंने कहा कि रण में जाए बिना भी देश सेवा की जा सकती है। अपने आसपास सफाई कर, समाज को उन्नतिशील बनाकर, चरित्र और शिक्षा को बेहतर कर देश सेवा हो सकती है। इस मौके पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और प्रदेश के वन मंत्री संजय शर्मा भी मौजूद थे।