महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में वीवीआईपी और संरक्षित व्यक्तियों की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए बड़े प्रशासनिक बदलाव किए हैं। गृह विभाग की ओर से जारी नए सरकारी प्रस्ताव (GR) के तहत उच्च स्तरीय सुरक्षा समिति और समीक्षा समिति—दोनों का पुनर्गठन किया गया है। यह कदम 2007, 2011 और 2014 में जारी पुराने सरकारी आदेशों और सर्कुलरों को रद्द करता है।
अधिकारियों के अनुसार, नई संरचना के तहत उच्च स्तरीय समिति की अध्यक्षता अब राज्य खुफिया विभाग के आयुक्त और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक करेंगे। समिति में ATS, मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच, स्पेशल ब्रांच, VIP सुरक्षा यूनिट और गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
इस समिति का मुख्य कार्य राज्य में महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्तियों, जनप्रतिनिधियों और अन्य उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए सुरक्षा श्रेणियों का निर्धारण करना होगा।
1986 से चल रही व्यवस्था में बड़ा बदलाव
मूल उच्च स्तरीय समिति का गठन पहली बार 1986 में किया गया था। इसे समय-समय पर पुनर्गठित करते हुए सुरक्षा खतरों का आकलन करने और सुरक्षा श्रेणियां तय करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
इसके बाद, राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समीक्षा समिति बनाई गई, जिसे बिना अलग सरकारी मंजूरी के अंतिम निर्णय लेने का अधिकार था।
राज्य खुफिया विभाग ने हाल ही में प्रशासनिक ढांचे में हुए बदलावों और नए सुरक्षा पदों के सृजन को ध्यान में रखते हुए इन समितियों की संरचना को अपडेट करने का प्रस्ताव रखा था। सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी।
नई समीक्षा समिति की संरचना
समीक्षा समिति का भी पुनर्गठन किया गया है। अब इसके सदस्य होंगे—
-
मुख्य सचिव (अध्यक्ष)
-
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह)
-
पुलिस महानिदेशक
-
मुंबई पुलिस आयुक्त
-
राज्य खुफिया विभाग के आयुक्त
यह समिति सुरक्षा श्रेणियों पर अंतिम निर्णय लेगी।
उद्देश्य: अधिक प्रभावी सुरक्षा तंत्र
सरकार का कहना है कि इस नए ढांचे का मकसद महाराष्ट्र में उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की सुरक्षा का आकलन और सुरक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और आधुनिक जरूरतों के अनुरूप बनाना है।