भोपाल । साल के सबसे ज्यादा ठंड के महीनों में से एक दिसंबर की शुरुआत हो चुकी है। दिसंबर और जनवरी के बीच ही तापमान अपने सर्वाधिक निचले स्तर पर पहुंचता है और ठंड का असर चरम पर होता है। मौसम विभाग के मुताबिक यह साल का सबसे शुष्क महीना है। इस माह में औसत अधिकतम तापमान 27.6 डिग्री और औसत न्यूनतम तापमान 11.1 डिग्री है। आसमान साफ रहने से दिन में धूप के कारण ठंड से थोड़ी राहत रहती है। दिसंबर में अक्सर बारिश भी देखने को मिलती है।
पिछले तीन साल से लॉ नीना का असर से सर्दी के सीजन में अच्छी सर्दी दिखाई दे रही है। आमतौर पर इसका असर एक या दो साल रहता है लेकिन पिछले कई दशकों बाद ऐसी स्थिति बनी है कि लगातार तीन साल से लॉ नीना का असर बना हुआ है। भारतीय मौसम विज्ञान सोसायटी की ओर से भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी ट्रॉपमेट में मौसम विज्ञानियों ने ये बात कही. यहां मौसम को प्रभावित करने वाले ऐसे ही कई पहलुओं पर मौसम विज्ञानियों ने विचार मंथन किया। इस संगोष्ठी में कई मौसम विशेषज्ञ और स्टूडेंट मौसम और जलवायु भविष्यवाणी में प्रगति और दक्षिण एशिया में जलवायु परिवर्तन पर विचार मंथन कर रहे हैं। यहां यह बात सामने आई कि जलवायु परिवर्तन का असर हर मौसम में दिखाई देता है चाहे गर्मी बारिश या सर्दी हर मौसम में कुछ ना कुछ परिवर्तन नजर आता है। अल नीना और लॉ नीना भी इसे प्रभावित करते हैं। जब अल नीना होता है उस साल गर्मी ज्यादा होती है। सर्दियों में सर्दी कम पड़ती है बारिश भी प्रभावित होती है। मौसम की और सटिक जानकारी के लिए क्या प्रगति की जाए इस पर भी मंथन किया जा रहा है। भारतीय विज्ञान सोसायटी के चेयरमेन और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण वाटर सेक्टर कृषि व्यवस्था पर पडऩे वाले असर पर भी विचार मंथन किया जा रहा है।
ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव को कम करना जरूरी
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक और मानवीय आधार पर होता है। इसके पीछे कारण यह है कि ग्रीन हाउस गैस का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है कार्बन मिथेन की अधिकता हो रही है। इसके कारण तापमान में भी बढ़ोतरी हो रही है। बारिश के दिनों में चिपचिपी गर्मी का अहसास होता है।