ड्रग्स तस्कर युवा पीढ़ी को अपना शिकार बना रहे है और क्षेत्र में अपनी मजबूत पैठ बना ली है। नशेड़ी और पुड़िया बेचने वालों को पकड़ पुलिस अपनी पीठ थपथपाती है। नशे के सौदागर तक पुलिस के हाथ पहुंच नहीं पाते है। आदित्यपुर थाना क्षेत्र का इलाका नशे के सौदागरों के लिए हमेशा से महफूज रहा है। ड्रग्स माफिया पकड़े नहीं जा रहे हैं और पुलिस की चंगुल से दूर हैं। तस्करों के नेटवर्क तोडऩे में कामयाब नहीं हो पा रही है। इसकी कुछ तो वजह होगी। यदि ऐसा नहीं हैं तो पुलिसिया शह के बगैर धंधा कैसे संचालित हो रहा है। कुछ तो वजह है, लंबे अर्से से इलाके में धंधा यूं ही नहीं चल रहा है। मादक पदार्थों के साथ जितने भी आरोपितों को गिरफ्तार होती है, वे सप्लायर या फिर खुद इन मादक पदार्थों का सेवन करने वाले नशेड़ी होते हैं। जो सप्लायर हाथ लगते भी है, वे छोटे सप्लायर हैं। पुलिस इनसे पूछताछ कर यह जानना का प्रयास नहीं करती हैं कि माल किसने उपलब्ध कराई, कहां से लाया गया, कैसे इसकी आपूर्ति इलाके में होती हैं, कौन-कौन धंधे में शामिल हैं, कितने में माल आता हैं और और कितने बिकता हैं? फिलहाल आदित्यपुर में ड्रग्स का कारोबार का काला सच किसी से छिपा नही है। नशे का कारोबार ड्रग्स सरगना डाली परवीन की गिरफ्तारी के बाद भी तेजी से बढ़ा है। धंधे से जुड़े लोग युवाओं के रंगों में जहर घोलने में लगे हुए हैं। इलाका ड्रग्स को लेकर सुर्खियों में है। क्षेत्र के लोगाें को इंतजार कार्रवाई का है।