मुंबई । मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शिवसेना को हाईजैक करने के लिए तैयार है। शिंदे ने केंद्रीय चुनाव आयोग को एक पत्र भेजा। इसमें उन्होंने मांग की कि उनके संगठन को शिवसेना के रूप में मान्यता दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि हमें शिवसेना का धनुष-बाण चिन्ह मिलना चाहिए। शिवसेना के विधायक, सांसद और पार्षद काफी हद तक बंट चुके हैं, लेकिन शिवसेना संगठन पर नियंत्रण करना एकनाथ शिंदे के लिए इतना आसान नहीं है। हालांकि, उन्होंने इस दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। निर्वाचित प्रतिनिधियों के बाद अब उनकी नजर शिवसेना के पदाधिकारियों पर है। शिवसेना संगठन में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली प्रतिनिधि सभा में 282 सदस्य हैं। एकनाथ शिंदे अब इनमें से दो तिहाई यानी 188 सदस्यों को तोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। अगर वह इसमें कामयाब होते हैं तो शिवसेना और उद्धव ठाकरे के लिए मुश्किल खड़ी होगी।
दलबदल कानून के मुताबिक सिर्फ विधायक और सांसद के बंटवारे का मतलब पार्टी में बंटवारा नहीं है। उसके लिए संगठन में विभाजन होना चाहिए। इसलिए, यदि एकनाथ शिंदे प्रतिनिधि सभा के 188 सदस्यों को अपने पक्ष में कर लेते हैं, तो यह पूरी पार्टी में विभाजन के दावे को मजबूत करेगा। उसके बाद एकनाथ शिंदे अपनी योजनाओं के अनुसार पूरी शिवसेना पर नियंत्रण कर सकते हैं। हालांकि, शिवसेना इस खतरे को समझ चुकी है। इसलिए उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे इस समय संगठन को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं।