क्या देश में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री बंद होने वाली है...
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय डेटा के दुरुपयोग, रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) और दवाओं का बाजार बिगाड़ने वाले मूल्य निर्धारण जैसी कुछ चिंताओं के कारण डिजिटल फार्मेसियों को बंद करने पर विचार कर रहा है। इस संबंध में ताजा घटनाक्रम में फिक्की ने 28 फरवरी, 2023 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखा है और इस मुद्दे पर चिंता जताई है।
कोरोना से निपटने के दौरान ई-फार्मेसियों की भूमिका अहम रही
पत्र के अनुसार फिक्की का एक ई-फार्मेसी वर्किंग ग्रुप है जिसमें उद्योग जगत के कई प्रतिनिधि शामिल हैं। यह विभिन्न अभ्यावेदनों, सम्मेलनों और ज्ञान सत्रों के माध्यम से इस क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों को लगातार संबोधित करता रहा है। फिक्की ने संचालन के उच्च मानकों को सुनिश्चित करने के लिए "ई-फार्मेसी आचार संहिता" विकसित करने में उद्योग की सहायता की है। फिक्की ने 'कोविड-19 फ्रंटलाइन फाइटिंग ऑड्स में ई-फार्मेसी की देश सेवा' शीर्षक से एक श्वेत पत्र प्रकाशित किया था। इसमें महामारी के दौरान फार्मेसियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।
भारत को भविष्य के लिए तैयार डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली की जरूरत
पत्र के अनुसार, ''भारत को भविष्य के लिए तैयार डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली की जरूरत है। कोविड-19 महामारी में के दौरान इसकी जरूरत महसूस हुई है। सस्ती और प्रभावी सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के लिए ई-फार्मेसी दवाओं की पूर्ण ट्रैकिंग और ट्रेसेबिलिटी के साथ एक मजबूत डिजिटल नींव प्रदान करते हैं। यह दवा आपूर्ति शृंखला में एक महत्वपूर्ण घटक है। दवाओं की पहुंच और अनुपालन में सुधार करके, ई-फार्मेसियों ने खुद को आवश्यक सेवाएं साबित की हैं। पत्र के के अनुसार हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने खुद कोविड के चुनौतीपूर्ण दौर में दवाओं तक घर-घर पहुंच को सक्षम करने में ई-फार्मेसी के समर्पण को पहचाना था और उनकी प्रशंसा थी
ई-फार्मेसी सस्ती दवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए एक मजबूत नींव की तरह
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे पत्र में फिक्की ने देश के ग्रामीण इलाकों में भी ई-फार्मेसियों के लाभों का उल्लेख किया है। फिक्की ने पत्र में लिखा है, ''इस साल जी-20 की अध्यक्षता के दौरान डिजिटल स्वास्थ्य भारत के लिए ध्यान केंद्रित करने का एक प्रमुख क्षेत्र है। सरकार की प्रमुख पहलों के तहत स्वास्थ्य सेवा सामर्थ्य और दवाओं की पहुंच में सुधार के लिए डिजिटल माध्यम महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। ई-फार्मेसी सस्ती दवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए एक मजबूत नींव के रूप में काम करती हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां सीमित आपूर्ति शृंखला और लगातार स्टॉक-आउट की समस्या होती है वहां के लिए ये बहुत उपयोगी हैं। सरकार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं का विस्तार करके आम लोगों की ई-फार्मेसियों के जरिए फार्मास्यूटिकल्स तक पहुंच में काफी वृद्धि कर सकते हैं।
फिक्की ने कहा- ई-फार्मेसियों से देश भर में नौकरियां घटेंगी, इस आशंका का कोई आधार नहीं
पत्र में फिक्की ने कहा, ऐसी किसी भी आशंका का कोई आधार नहीं है कि ई-फार्मेसियों से देश भर में नौकरियां घटेंगी। असल में राष्ट्र में ई-फार्मेसी की की शुरुआत के बाद कृत्रिम बुद्धि, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, डेटा विश्लेषण आदि सहित विभिन्न प्रकार के नए क्षेत्रों में अधिक से अधिक व्यवसायों का निर्माण हुआ है। इसके अलावा, ई-फार्मेसियों ने हजारों व्यक्तियों को स्पर्शरेखीय रोजगार के लिए भी विकल्प मुहैया कराया है। फिक्की ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि इसका कोई वैध कारण नहीं है कि ई-फार्मेसियों को भारतीय बाजार में काम नहीं करना चाहिए। फिक्की ने भी उनकी चिंताओं को उजागर करते हुए विस्तृत अभ्यावेदन दिया है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से बैठक का अनुरोध भी किया है। बता दें कि इससे पहले 28 फरवरी, 2023 को सीडीएससीओ ने शीर्ष 20 ई-फार्मेसियों को कारण बताओ नोटिस भेजा था।