राष्ट्रपति चुनाव का निर्वाचन आयोग ने ऐलान कर दिया है और इसके साथ ही सरकार के साथ-साथ विपक्ष भी सक्रिय हो गया है। खासतौर पर कांग्रेसी खेमा राष्ट्रपति चुनाव को शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देख रहा है। चुनाव के ऐलान के तुरंत बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कम्युनिस्ट सीताराम येचुरी, एनसीपी के नेता शरद पवार और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से बात की। यही नहीं सोनिया गांधी क्योंकि खुद कोरोना संक्रमित हैं। ऐसे में उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे को जिम्मा दिया है कि वे समान विचारधारा वाले दलों के साथ तालमेल स्थापित करें।

विपक्षी खेमे की पूरी नजर तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी पर है। इन दलों ने कई मौकों पर संसद में भाजपा का समर्थन किया है। ऐसे में इनका रुख विपक्षी एकता और उसकी ताकत कितनी रहेगी, इस लिहाज से अहम है। एक सीनियर नेता ने कहा, 'अगले कुछ दिनों में हम एक मीटिंग करेंगे, जिसमें यह फैसला लिया जाएगा कि किसे विपक्ष का चेहरा बनाया जाए।' दरअसल विपक्षी चुनाव ऐसे वक्त में हो रहे हैं, जब कांग्रेस 5 राज्यों में चुनावी हार झेलकर बैठी है। वहीं भाजपा के खिलाफ टीआरएस जैसे दल ने मोर्चा खोला है, जिसके कांग्रेस से बहुत अच्छे संबंध नहीं हैं। 

ऐसे में कांग्रेस समेत अन्य कई दल यही चाहेंगे कि कोई गैर-कांग्रेसी नेता ही उम्मीदवार बने। माना जा रहा है कि किसी विद्वान और सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले नेता का नाम कांग्रेस प्रस्तावित कर सकती है। आदिवासी अथवा अल्पसंख्यक चेहरे को कांग्रेस मौका दे। इस बीच किसी गैर-कांग्रेसी दल को जिम्मा दिया जा सकता है कि वह वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस और बीजेडी को कैंप में लाने की कोशिश करे। इसकी वजह है कि इन्हीं दलों के पास दो फीसदी वोट की चाबी है, जो भाजपा को कम पड़ रहे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि तीनों दल राष्ट्रपति चुनाव में किसके साथ जाते हैं।