पिपला नारायण वार। ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवस्थओं की तरफ न तो स्थानीय जिम्मेदार विभागों का ध्यान जा रहा है और न जनप्रतिनिधियों का। हालात ये ह कि आम जनता पानी शौचायल जैसी मूलभूत जरूरतों के लिए इधर उधर भटक रही है। ऐसे स्थानों पर जहां पर आम जनता की आवाजाही ज्यादा होती है व्यवस्थाएं सुचारू बनानी चाहिए लेकिन ऐसा नहंी हेा रहा है। 
पिपलानारायणवार  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इन दिनों बुरे हाल हैं। चिकित्सक ना तो समय पर आ रहे हैं और ना ही कर्मचारी जिससे अस्पताल के ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ग्राम नागरिकों के अनुसार यहां समय पर न तो ओपीडी खुलती है और ना ही डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी पहुंचते हैं। हालात यह है कि यहां मरीजों और ओपीडी पर्ची बनाने के लिए स्वास्थ्य कर्मचारी का इंतजार करना पड़ता है यह किसी एक दिन का हाल नहीं है बल्कि रोजाना की समस्या है कई बार शिकायतों के बावजूद अस्पताल प्रबंधक इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है ग्रामीण अस्पताल में उपचार कराने तो पहुंचते हैं लेकिन जब वहां समय पर कोई डॉक्टर नहीं मिलता है तो निराशा ही हाथ लगती है और ना ही दवा मिलती है चिकित्सा और स्वास्थ्य कर्मचारी का देरी से आना और जल्दी चले जाना अब उनका रोजमर्रा का काम हो गया है। स्थानीय निवासी किशोर वकोडे ने बताया गर्मी बीत गई लेकिन स्वास्थ्य केंद्र में पीनीे के लिए लोगो को पानी नहीं नसीब हुआ। वाटर कूलर बंद पड़ा है तो प्रबंधन ने मटके रखने तक की जहमत नहीं उठाई। गौरतलब है स्वास्थ्य विभाग के पास व्यवस्थाओं के लिए खासा बजट रहता है। लेकिन न तो अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी इसपर ध्यान देते न प्रशासन। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी कभी इन केंद्रों का निरीक्षण नहीं करते न मुख्यालय पर बैठे अधिकारी कभी संज्ञान लेते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में किन अव्यवस्थाअेों के बीच लोग रहने के लिए मजबूर हैं। 
जनप्रतिनिधियों से भी खफा है लोग
स्थानीय निवासियेां का कहना है कि यूं तो छोटी से बात पर जनप्रतिनिधि रैली, धरना प्रदर्शन पर उतारू हो जाते हैं लेकिन वास्तव में जनता से जुड़ी जो समस्याएं है उनको वे नहीं उठाते और मौन बैठे रहते हैं। ग्रामीणों को जो परेशानियां हो रही है उसकी तरफ स्थानीय नेताओं की चुप्पी भी व्यवस्था के साथ मिलीभगत होने की शंका जताती है।