उदयपुर। राजस्थान पुलिस ने उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ब्रिज पर धमाके के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम यानी यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज की है। इस धारा का इस्तेमाल आतंकी घटनाओं के मामलों में किया जाता है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह एक आतंकी घटना है और इसका मकसद लोगों के अंदर दहशत और आतंक फैलाना ही था।

यूएपीए की धाराओं में मामला दर्ज

पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा का कहना है कि आतंकियों का मकसद राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को खतरा पहुंचाना था, इसलिए इस मामले को यूएपीए की धाराओं में दर्ज किया गया। जिसमें धारा-16 आतंकी कृत्य की सजा और धारा-18 आतंकी कृत्य करना शामिल है। इसके अलावा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और जनता की संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम की संबंधित धाराओं के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 150, 151 और 285 भी लगाई गई हैं।

केंद्रीय एजेंसी विस्फोट की साजिश को लेकर कई एंगल्स से जांच में जुटी है।इनमें उदयपुर में आगामी पांच दिसम्बर से होने वाली तीन दिवसीय जी-20 समूह की शेरपा बैठक से पहले दहशत फैलाने के अलावा गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव को जोड़कर देखा जा रहा है।

जांच एजेंसी यह देख रही है कि इस विस्फोट के पीछे पीएफआई या अन्य किसी आतंकी संगठन का हाथ तो नहीं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी भी इन एंगल पर जांच में जुटी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी की टीम इस मामले में आसपास से लोगों के बयान ले चुकी है, वहीं उस वाहन की तलाश में जुटी है, जो विस्फोट के समय पुल के पास खड़ा था और बाद में गायब हो गया। आशंका जताई जा रही है कि उसी वाहन से आए लोगों ने ही विस्फोट की घटना को अंजाम दिया।

उल्लेखनीय है कि शनिवार रात अज्ञात बदमाशों ने उदयपुर-अहमदाबाद यात्री गाड़ी गुजरने के चार घंटे बाद रेलवे के ओड़ा गांव स्थित पुल को उड़ाने की कोशिश की। उन्होंने पुल पर विस्फोटक लगाया और उसके धमाके में पुल तो नहीं उड़ा लेकिन ट्रेक को बड़ा नुकसान पहुंचा था। हालांकि आतंकी अपने मकसद में कायमयाब नहीं हो पाए और ग्रामीणों की सजगता से बड़ा हादसा होने से बच गया।

फोरेंसिक जांच में पता चला है कि आतंकियों ने खनन उपयोग में लिए जाने वाला सुपर -9 एक्सप्लोसिव विस्फोट के लिए लिया। जो यहां आमतौर पर खनन इकाइयों के पास उपलब्ध रहता है। एनआईए और अन्य जांच एजेंसियां यह छानबीन में जुटी है कि यह विस्फोटक आतंकियों के पास कैसे पहुंचा।