भोपाल । राजधानी में मानसून पूर्व की गतिविधियां प्रारंभ हो चुकी है लेकिन अभी तक नगर निगम द्वारा नालों की सफाई, गहरीकरण और मरम्मत का काम नहीं शुरू किया गया है। मानसून आने में मात्र 15 से 20 दिन ही शेष बचे हैं, नगर निगम अभी तक सुस्त पडा हुआ है। हर साल इन्हीं कारणों से राजधानी के दो दर्जन से अधिक इलाकों में जलभराव की स्थिति बनती है। इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारी नालों के उद्धार को लेकर गंभीर नहीं है। जबकि नालों की क्षतिग्रस्त दीवारें बड़ी दुर्घटना की वजह बन सकती हैं। गौरतलब है कि राजधानी में मनीषा मार्केट, शाहपुरा, त्रिलंगा, 1100 क्वार्टर, जिंसी, पंचशील नगर, आरिफ नगर, अशोका गार्डन, चांदबढ़, भानुपर, सेमरा, बाणगंगा, पुष्पा नगर, सिंधी कालोनी और बैरसिया रोड समेत पचास से अधिक बड़े नाले हैं। जब इनमें बारिश का पानी भरता है तो नाले, नदी का रूप धारण कर लेते हैं। लेकिन नालों की साफ-सफाई और गहरीकरण का काम नहीं होने से इसका पानी शहर की निचली बस्तियों में भरता है, जिससे मोहल्ले और कालोनियों में बाढ़ के हालात बन जाते हैं। हर साल शहर के लोगों को इस परेशानी से जूझना पड़ता है। इसके बावजूद निगम के अधिकारी मानसून से पहले नालों की मरम्मत व साफ-सफाई को लेकर गंभीर नहीं है। इस साल की बरसात शहरवासियों के लिए मुसीबत लेकर आने वाली है। इस साल नाला सफाई अभियान ना चलने की वजह से शहर के सभी नाले-नालियां कचरे से पटे पड़े हैं। ऐसी स्थिति में गंदा पानी सड़कों पर भरना और निचले इलाकों के घरों तक पहुंचना निश्चित है। हालांकि हाल ही में कलेक्टर अविनाश लवानिया ने जरूर बरसात की तैयारियों के मद्देनजर अधिकारियों को मुस्तैद रहने को कहा है, लेकिन जब नाले ही साफ नहीं हुए तो पानी का बहाव रुकना जाहिर है। मानसून सिर पर है और नगर निगम की नाला गैंग गायब है, जबकि हर साल नगर निगम द्वारा नालों की साफ-सफाई और गहरीकरण के लिए अप्रैल महीने में ही नाला गैंग के कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंप दी जाती थी लेकिन इस बार नाला गैंग के कर्मचारी भी ठंडे बस्ते में पड़े हैं। बता दें कि हर साल नगर निगम अप्रैल-मई माह से शहर में नाला सफाई अभियान शुरू कर देता था, लेकिन अधिकारी इस साल यह अभियान चलाना ही भूल गए। अधिकारियों की जब नींद खुली, तब तक समय बीत चुका है। अब ऐसे में नालों को लेकर अभियान शुरू भी होता है, तो मानसून शुरू होने के पहले इनकी सफाई और गहरीकरण करना असंभव होगा। राजधानी में बीते दो सालों में नालों के निर्माण व मरम्मत को लेकर काम किया गया है लेकिन ये नाकाफी है। वर्तमान में शहर के 50 से अधिक नालों की रिटेनिंग वाल क्षतिग्रस्त है। वहीं इनमें रेलिंग भी उखड़ने लगी है। बरसात आने पर ये लापरवाही लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।इस बारे में नगर निगम भोपाल के अपर आयुक्त एमपी सिंह का कहना है कि नगर निगम द्वारा बीते सालों में नालों पर काफी काम किया गया है। मानसून आने से पहले नियमित तौर पर नालों की सफाई और गहरीकरण का काम किया जाता है। जोन स्तर पर इसके लिए अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।