राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म मामले से जुड़े अलवर के राजगढ़ विधायक के पुत्र को राहत देने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने आरोपी की ओर से निचली अदालत के प्रसंज्ञान आदेश के खिलाफ दायर आपराधिक याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस उमाशंकर व्यास ने यह आदेश आरोपी दीपक मीणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

पीड़िता के पिता ने 25 मार्च को मंडावर थाने में विधायक जौहरीलाल मीणा के बेटे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हाईकोर्ट में पेश याचिका में कहा गया कि पुलिस की ओर से पेश किए गए आरोप पत्र में उसका नाम नहीं है। इसके अलावा अभियोजन पक्ष के पास उसके खिलाफ कोई साक्ष्य भी नहीं है। ऐसे में निचली अदालत ने उसके खिलाफ गलत तरीके से प्रसंज्ञान लेकर गिरफ्तारी वारंट से तलब किया है। इसका विरोध करते हुए पीड़िता के अधिवक्ता रजनीश गुप्ता ने बताया कि पुलिस ने आरोपी के विधायक पुत्र होने के कारण क्लीन चिट दी है। एफआईआर के साथ ही पीड़िता के बयानों में आरोपी का नाम है। इसलिए निचली अदालत का प्रसंज्ञान आदेश सही है।  पड़िता के पिता ने गत 25 मार्च को मंडावर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें विधायक जौहरीलाल मीणा के बेटे दीपक मीणा सहित अन्य पर नाबालिग पुत्री से गैंगरेप का आरोप लगाया गया था।

अदालत ने आरोपी की ओर से निचली अदालत के प्रसंज्ञान आदेश के खिलाफ दायर आपराधिक याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस उमाशंकर व्यास ने यह आदेश आरोपी दीपक मीणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।