रविवार को करें सूर्याष्टकम् का पाठ, मिलेगा मनोवांछित फल
रविवार को श्री सूर्योष्टकम् का पाठ करना बहुत ही फलदायी होता है. यह पाठ करने से सूर्य देव तुरंत ही फल प्रदान करते हैं. ऐसा धार्मिक पुस्तकों में वर्णन प्राप्त होता है.
जिन लोगों की नौकरी या करियर में कोई परेशानी आ रही है, कोई संकट आ गया है, तो उन लोगों को कम से कम 7 रविवार श्री सूर्याष्टकम् का पाठ करना चाहिए. यह करने से आप का कल्याण होगा. आज रविवार का दिन इस कार्य के लिए अच्छा है, आप चाहें तो आज श्री सूर्याष्टकम् का पाठ विधिपूर्वक कर सकते हैं. श्री सूर्याष्टकम् की रचना संस्कृत में की गई है तथा इसमें 11 श्लोक हैं. आप इसका पाठ करते वक़्त श्लोकों का सही उच्चारण करें. पाठ में श्लोकों की शुद्धता आवश्यक है.
श्री सूर्याष्टकम्:-
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥1॥
सप्ताश्व रथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्।
श्वेत पद्माधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥2॥
लोहितं रथमारूढं सर्वलोक पितामहम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥3॥
त्रैगुण्यश्च महाशूरं ब्रह्माविष्णु महेश्वरम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥4॥
बृहितं तेजः पुञ्ज च वायु आकाशमेव च।
प्रभुत्वं सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥5॥
बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम्।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥6॥
तं सूर्यं लोककर्तारं महा तेजः प्रदीपनम् ।
महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥7॥
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानप्रकाशमोक्षदम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥8॥
सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनम्।
अपुत्रो लभते पुत्रं दारिद्रो धनवान् भवेत्॥9॥
अमिषं मधुपानं च यः करोति रवेर्दिने।
सप्तजन्मभवेत् रोगि जन्मजन्म दरिद्रता॥10॥
स्त्री-तैल-मधु-मांसानि ये त्यजन्ति रवेर्दिने।
न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं च गच्छति॥11॥