ट्रेन में बीमार महिला की हुई मौत
सुबह 6:30 बजे जोन्हा स्टेशन से गुजरती हुई हावड़ा रांची क्रिया योग एक्सप्रेस में कुछ यात्री डॉक्टर-डॉक्टर पुकारते हुए एक कोच से दूसरे कोच में गुजरते दिखते हैं। कुछ यात्रियों ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें कोई परेशानी है। तो, उन्होंने बताया कि 59 वर्षीय महिला की तबीयत ट्रेन में अचानक खराब हो गई है कोई डॉक्टर है तो उनकी मदद कर सकता है। लेकिन उन्हें कोई डॉक्टर नहीं मिला और अंततः मधु गुप्ता की रांची पहुंचने से पहले ही मौत हो गई।
रेलवे के चिकित्सकों के लापरवाही के कारण ए-वन कोच में सवार एक महिला यात्री की मौत हो जाने से उसके परिजनों ने काफी हंगामा किया। दरअसल 4:15 मुरी स्टेशन पर इंजन रिवर्स के लिए ट्रेन रूकी। आधे घंटे बाद एक आरपीएफ का जवान देखता है कि एक बोगी की बत्ती जली है। एक महिला को कुछ यात्री हाथ और पैर के तलवे में मालिश कर रहे हैं।
पूछे जाने पर बताया कि मरीज की तबियत बिगड़ गई है। अस्पताल ले जाने जरूरत पड़ेगी। तत्काल आरपीएफ के जवान सक्रिय हुए और मुरी में रेलवे चिकित्सक को इसकी सूचना दी। लेकिन चिकित्सक को पहुंचने में 40 मिनट लग गए। इस बीच डॉक्टर के इंतजार में मरीज की तबीयत और बिगड़ने लगी। सब इस बात से परेशान थे कि आखिर चिकित्सक को आने में इतना वक्त क्यों लग रहा है।
40 मिनट बाद डॉक्टर स्टेशन पर पहुंचते हैं और मरीज को एक दवा देकर तत्काल निकल जाते हैं। मरीज को सांस लेने और दम फूलने की शिकायत थी। जैसे ही पांच बोगी आगे बढ़ते हैं फिर से उन्हें पीछे से आवाज लगाई जाती है डॉक्टर साहब जल्दी वापस लिए मरीज की तबीयत और बिगड़ गई है, दवा खाते ही मरीज के मुंह से झाग निकल रहा है। डॉक्टर द्वारा मरीज के पास पहुंचते हैं उसकी स्थिति को देखकर बोलते हैं तत्काल किस रांची ले जाइए।
इसके बाद मोरी स्टेशन से 5:35 पर ट्रेन खुलती है। गोल्डन ऑवर के इस बीच में मरीज का पूरा वक्त मुरी स्टेशन पर बर्बाद हो जाता है जहां उसका इलाज होना चाहिए वहां मरीज के परिजनों को डॉक्टर के इंतजार में काफी वक्त लग जाता है। अगर समय रहते मरीज का उपचार हो जाता है तो शायद मरीज की जान बच सकती थी लेकिन एक बार फिर से चिकित्सकों की लापरवाही के कारण मरीज को नहीं बचाया जा सका।
अक्सर देखने को मिला है कि रेलवे द्वारा चिकित्सकीय सेवा देरी से उपलब्ध कराने के कारण मरीज की मौत हो जाती है। यात्री संघ द्वारा कई दफा मांग की गई है कि रेलवे स्टेशन पर चिकित्सकों की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि समय पर मेरी जे को उसकी समस्या से निदान मिल सके। साथ ही मरीज की ऐसी स्थिति में जान भी बचाए जा सके। लेकिन स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है।