केवलादेव से लेकर सांभर तक राज्य पक्षियों के लिए स्वर्ग
जयपुर । आमजन में पक्षियों की प्रजातियों की सुरक्षा एवं संवर्धन को लेकर जागरूकता उत्पन्न करने के लिए राष्ट्रीय पक्षी दिवस 5 जनवरी को देश विदेशों में मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है कि विश्व भर में पक्षियों की पाए जाने वाली प्रजातियों एवं लुप्त होती प्रजातियों को वर्तमान परिपेक्ष्य में खतरे की सम्भावना एवं बचाव के संभावित रास्तों पर चर्चा कर कोई हल निकाला जा सके। एक ओर जहाँ जलवायु परिवर्तन और बदलते परिवेश की वजह से वन्य जीवों और पक्षियों की प्रजातियों के साथ प्राकृतिक संतुलन पर खतरा मंडरा रहा है वही राजस्थान में केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी विहार, सांभर झील, खींचन, मानसागर, आनासागर, फतेहसागर कुछ ऐसी जगह है ,जहाँ पक्षियों के लिए भोजन एवं आवश्यक वातावरण की उपलब्धता की वजह से ये स्थान पक्षियों के लिए स्वर्ग माने जाते है और यही कारण है कि प्रतिवर्ष सर्दियों के मौसम में यहाँ हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी हजारों किलोमीटर की लंबी यात्रा तय करके पहुंचते है।
भरतपुर जिले में स्थित यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल एवं रामसर वेटलैंड साइट केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान एक ऐसा स्थान है जहाँ देश विदेशों से स्पूनबिल, पेंटेड स्ट्रोक, ओपन बिल स्टॉर्क, ग्रे हेरॉन, कोरमोरेंट्स, इबिस जैसे 400 से अधिक प्रजातियों के पक्षी अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, चीन, साइबेरिया जैसे देशों से चलकर सितंबर-नवंबर माह में यहां पहुंचते है एवं फरवरी माह तक यही रूक कर प्रजनन का कार्य करते है। ऐसे में यहां का प्राकृतिक वातावरण एवं भोजन की सुलभ उपलब्धता हजारों की संख्या में पक्षियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है।केवलादेव न केवल पक्षियों एवं वन्यजीवों के लिए स्वर्ग है बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी एक रोजगार का बड़ा साधन है। देशी विदेशी पक्षियों की वजह से प्रति वर्ष हजारों की संख्या में आने वाले देशी- विदेशी पर्यटकों से गुलजार होता भरतपुर यहाँ की होटल एवं पर्यटन उद्योग के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। वहीं राज्य सरकार की जीव कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता एवं वन विभाग की सतर्कता के चलते अब केवलादेव में पूर्णतया प्लास्टिक के उपयोग पर रोक लगा दी गई है ताकि केवलादेव को प्लास्टिक प्रदूषण मुक्त बनाया जा सके।