भारत के प्रमुख पर्व दिवाली को बुधवार को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में आधिकारिक रूप से शामिल कर लिया गया। यह ऐतिहासिक फैसला नई दिल्ली में आयोजित अंतरसरकारी समिति की महत्वपूर्ण बैठक के दौरान हुआ, जिसका आयोजन लाल किले परिसर में किया जा रहा है।
दिवाली की वैश्विक मान्यता को मिली नई ऊंचाई
यूनेस्को की इस घोषणा ने त्योहार की अंतरराष्ट्रीय पहचान को और भी मजबूत किया है। इस बैठक में 78 देशों के नामांकनों पर विचार किया जा रहा है, और दिवाली का चयन इसकी सांस्कृतिक प्रासंगिकता, परंपराओं और वैश्विक लोकप्रियता को रेखांकित करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्त की खुशी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नरेंद्र मोदी ने इस निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हर भारतीय के लिए यह गौरव का क्षण है। उन्होंने एक्स पर लिखा:
“दीपावली हमारी संस्कृति, मूल्यों और सभ्यता की आत्मा है। यूनेस्को की सूची में शामिल होना इसकी वैश्विक लोकप्रियता को और बढ़ाएगा। प्रभु श्रीराम के आदर्श हमें मार्गदर्शन देते रहें।”
यह पहली बार है कि भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) के संरक्षण के लिए आयोजित अंतरसरकारी समिति के सत्र की मेजबानी कर रहा है। यह 20वां सत्र 8 से 13 दिसंबर तक चलेगा।
घोषणा के साथ गूँजे देशभक्ति के नारे
यूनेस्को की घोषणा के बाद आयोजन स्थल पर “वंदे मातरम” और “भारत माता की जय” के नारे गूंज उठे। संगठन का उद्देश्य विश्वभर में सांस्कृतिक परंपराओं की विविधता को संरक्षित करना और आने वाली पीढ़ियों के लिए उनका संरक्षण सुनिश्चित करना है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री का बयान
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यूनेस्को ने शांति, अच्छाई और मानवीय आकांक्षा का सम्मान किया है। उन्होंने बताया कि कुम्हारों से लेकर कारीगरों तक लाखों लोग इस विरासत को जीवित रखते हैं।
“यह टैग एक जिम्मेदारी भी है—हमें सुनिश्चित करना होगा कि दीपावली की परंपरा और उसका मूल्य हमेशा जीवित रहे।”
दिल्ली में विशेष उत्सव का माहौल
इस ऐतिहासिक मान्यता के बाद दिल्ली सरकार दिल्ली सरकार ने शहरभर में विशेष कार्यक्रमों की घोषणा की है। प्रमुख इमारतों को भव्य रोशनी से सजाया गया है और एक विशाल दीप प्रज्वलन समारोह भी आयोजित किया जा रहा है।
दिवाली: वैश्विक सांस्कृतिक उत्सव
दिवाली केवल हिंदू ही नहीं, बल्कि सिख, जैन और दुनिया भर में बसे भारतीय समुदाय के बीच पांच दिनों तक धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है। यह अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है।
उत्तर भारत में इसे भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने से जोड़कर मनाया जाता है, जब उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की थी। दिवाली लक्ष्मी पूजन और समृद्धि से भी जुड़ा हुआ पर्व है।
विदेश मंत्रालय ने भी जताई खुशी
भारत के विदेश मंत्रालय विदेश मंत्रालय ने एक्स पर लिखा कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत के लिए गर्व का पल है।
वर्तमान में भारत की 15 सांस्कृतिक परंपराएं यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल हैं—जिनमें कुंभ मेला, कोलकाता की दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा, योग, वैदिक मंत्रोच्चार और रामलीला शामिल हैं।