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राज्य / उत्तराखंड

कुंभ मेला केवल अखाड़ों का नहीं, आश्रमों को भी मिले समान अधिकार: साधु-संतों का आरोप

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हरिद्वार — आगामी कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर साधु-संतों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। कई प्रमुख संतों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने कुंभ की तिथियों और तैयारियों पर चर्चा के लिए अखाड़ा परिषद के साथ तो लगातार बैठकें कीं, लेकिन आश्रमों में रहने वाले संतों और उनके संगठनों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।

बैठक में महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरी ने स्पष्ट कहा कि कुंभ मेला केवल अखाड़ों का नहीं होता, यह सभी साधु-संतों का महापर्व है। उन्होंने बताया कि आश्रमों के साधु-संत करोड़ों श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं, उनके भी बड़े पैमाने पर शिविर लगते हैं, इसलिए तैयारी और तिथियों पर चर्चा में उन्हें भी समान महत्व मिलना चाहिए।

अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने भी असंतोष जताते हुए कहा कि पहले कुंभ और अर्धकुंभ के आयोजन में विभिन्न पक्षों, संगठनों और आश्रमों से राय ली जाती थी, लेकिन इस बार केवल अखाड़ों को तरजीह दी जा रही है। उन्होंने बताया कि जल्द ही बनने वाली नई आश्रम परिषद सभी संतों की समस्याओं और मुद्दों के समाधान का मंच बनेगी।

महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने कहा कि हरिद्वार के स्थानधारी संत विभिन्न मत, पंथ और संप्रदायों से जुड़े हैं और कुंभ मेले की व्यवस्थाओं में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि जल्द बैठक बुलाई जाए और सभी पक्षों से सुझाव लेकर तैयारियों को व्यापक और पारदर्शी बनाया जाए।

बैठक में महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी, रविदेव शास्त्री, स्वामी शिवानंद, लोकेश गिरी सहित कई संत उपस्थित रहे।

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