विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर लखनऊ में आयोजित सम्मान समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिव्यांगजनों को सम्मानित किया और उनकी सहायता हेतु विभिन्न उपकरण वितरित किए। मुख्यमंत्री मंगलवार सुबह इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान पहुंचे, जहाँ उन्होंने दिव्यांगजनों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस दौरान 500 दिव्यांगजनों को ट्राइसाइकिल, व्हीलचेयर, कान की मशीन सहित अलग-अलग सहायक उपकरण प्रदान किए गए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि दिव्यांगजन संकल्प और आत्मबल के दम पर हर चुनौती को पार करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा में शारीरिक बनावट को कभी भी सामर्थ्य का पैमाना नहीं माना गया। संत सूरदास सहित कई उदाहरण बताते हैं कि थोड़ी सी सहायता और प्रोत्साहन मिलने पर दिव्यांगजन असाधारण उपलब्धियाँ हासिल कर सकते हैं।
सीएम योगी ने कहा कि कई बार परिवार अनजाने में दिव्यांग बच्चों की उपेक्षा कर देते हैं, जिससे वे कुंठा का शिकार हो जाते हैं। लेकिन अगर उन्हें सही मार्गदर्शन और सहयोग मिले, तो वे जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कई दिव्यांग अधिकारी अपनी योग्यता और मेहनत से प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं—जिनमें खेल विभाग के सचिव, जिन्होंने पैरालंपिक में पदक जीता है, और चित्रकूट के मंडलायुक्त शामिल हैं, जो दृष्टिबाधित होते हुए भी आईएएस के रूप में सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाज की सोच बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पहले ‘विकलांग’ शब्द नकारात्मक भाव पैदा करता था, जबकि अब ‘दिव्यांग’ कहने से सम्मान और संवेदनशीलता बढ़ी है। उन्होंने बताया कि 2017 से पहले प्रदेश में केवल 8 लाख दिव्यांगजन 300 रुपये की पेंशन पाते थे। आज यह संख्या बढ़कर 11 लाख हो गई है और पेंशन राशि भी बढ़ाकर 1000 रुपये कर दी गई है, जो सीधे लाभार्थियों के खाते में भेजी जाती है।
योगी ने कहा कि पहले व्हीलचेयर, ट्राइसाइकिल और अन्य सहायक उपकरण प्राप्त करना बेहद कठिन था, लेकिन 2014 के बाद ALIMCO कानपुर और GDRC को मजबूती देकर उपकरण वितरण की प्रक्रिया तेज हुई है। सरकार अब हर मंडल मुख्यालय पर GDRC केंद्र खोलने जा रही है, ताकि दिव्यांगजन एक ही स्थान पर सभी सेवाएँ और सुविधाएँ प्राप्त कर सकें।
कार्यक्रम में दिव्यांगजनों की प्रतिभा, आत्मविश्वास और उनकी उपलब्धियों को सम्मानित किया गया, जिससे समाज में संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाने का संदेश भी दिया गया।