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मध्य प्रदेश

भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी: शहर में आज सरकारी अवकाश, स्कूल-कॉलेज बंद; सर्वधर्म प्रार्थना सभा में दी गई श्रद्धांजलि

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भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर आज 3 दिसंबर को राजधानी में सरकारी अवकाश रखा गया। शहर के सभी स्कूल और कॉलेज भी बंद रहे, जबकि बैरसिया सहित ग्रामीण क्षेत्रों में यह अवकाश लागू नहीं रहा और वहां सरकारी दफ्तरों एवं शैक्षणिक संस्थान खुले रहे।

बरकतउल्ला भवन (सेंट्रल लाइब्रेरी) में सुबह 10:30 बजे से सर्वधर्म प्रार्थना सभा आयोजित की गई। सभा में गैस राहत मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, पूर्व मंत्री कृष्णा गौर, विधायक भगवानदास सबनानी, महापौर मालती राय, कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह सहित विभिन्न धर्मों के गुरुओं और शहर के प्रबुद्धजन उपस्थित रहे। सभी ने भोपाल गैस त्रासदी में दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान धर्मग्रंथों का पाठ कर मृतकों की शांति के लिए प्रार्थना की गई।



क्या थी भोपाल गैस त्रासदी?

भोपाल गैस त्रासदी 2-3 दिसंबर 1984 की रात हुई थी, जब यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के एक टैंक से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस लीक हो गई थी। जहरीली धुंध तेजी से इलाके में फैल गई और देखते ही देखते सड़कों पर लाशों का अंबार लग गया।
लोगों की चीख-पुकार इतनी थी कि संवाद करना मुश्किल हो गया। धुंध और अराजकता के बीच कई परिवार एक ही रात में बिखर गए। किसी ने अपने पति को खोया, किसी ने अपने बच्चों को, तो किसी ने एक साथ तीन पीढ़ियों को।


श्रद्धांजलि कार्यक्रम और भावपूर्ण आयोजन

बरसी के एक दिन पहले मंगलवार शाम को भी कई संगठनों ने श्रद्धांजलि कार्यक्रम किए।

  • संभावना ट्रस्ट क्लिनिक ने मोमबत्ती रैली निकाली।

  • भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन ने शाहजहानी पार्क से मशाल और कैंडिल जुलूस आयोजित किया।


आज भी जारी है त्रासदी का दंश

भोपाल गैस पीड़ित संगठनों का कहना है कि हादसे को 40 साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन पीड़ितों की पीड़ा अभी खत्म नहीं हुई है।
संगठन के संयोजक शावर खान ने बताया कि फैक्ट्री परिसर में मौजूद जहरीला कचरा आज भी 5 किलोमीटर के दायरे में पानी को दूषित कर रहा है। इस जहरीले पानी के सेवन से हजारों लोग गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।

उन्होंने सरकार से मांग की कि—

  • गैस पीड़ितों पर स्वास्थ्य हादसे का दीर्घकालीन असर देखते हुए पाँच गुना मुआवजा दिया जाए।

  • प्रदूषित क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए त्वरित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।

भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक रही है, जिसका जख्म आज भी पूरी तरह नहीं भर पाया है।

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