संसद के शीतकालीन सत्र के समापन के साथ ही शुक्रवार (19 दिसंबर) को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। सत्र के आखिरी दिन परंपरा के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी दलों के नेताओं के लिए चाय पार्टी का आयोजन किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इस बार की टी पार्टी खास रही, क्योंकि पिछले सत्र के विपरीत कांग्रेस के नेता भी इसमें शामिल हुए।
कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी की गैरमौजूदगी में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी इस चाय पार्टी में पहुंचीं। वे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पास बैठीं, जबकि उनके सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच अनौपचारिक और सौहार्दपूर्ण बातचीत देखने को मिली।
सूत्रों के हवाले से NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, बातचीत के दौरान प्रियंका गांधी ने सांसदों को बताया कि वे एलर्जी से बचने के लिए एक खास तरह की जड़ी-बूटी का इस्तेमाल करती हैं, जिसे वे अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड से लेकर आई हैं। उनकी इस बात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुस्कुरा उठे। इसी क्रम में प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री से उनके हालिया विदेश दौरों के बारे में भी सवाल किया, जिस पर पीएम मोदी ने संक्षिप्त जवाब देते हुए कहा कि यात्रा अच्छी रही।
टी पार्टी के दौरान हल्के-फुल्के माहौल में एक और दिलचस्प पल तब आया, जब समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि अगर संसद सत्र थोड़ा और लंबा होता तो अच्छा रहता। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्कुराते हुए चुटकी ली और कहा, “हमने इसीलिए छोटा सत्र रखा ताकि आपके गले में दर्द न हो।” पीएम के इस जवाब पर वहां मौजूद नेता ठहाके लगाने लगे और माहौल पूरी तरह खुशनुमा हो गया। गौरतलब है कि धर्मेंद्र यादव सदन में विपक्ष की ओर से जोरदार नारेबाजी के लिए जाने जाते हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने यह टिप्पणी की।
करीब 20 मिनट तक चली इस चाय पार्टी में राजनीतिक मतभेदों से अलग एक सौहार्दपूर्ण माहौल देखने को मिला। उल्लेखनीय है कि हर सत्र के बाद ऐसी टी पार्टी आयोजित करने की परंपरा रही है। पिछले सत्र के बाद कांग्रेस ने इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन इस बार कांग्रेस की मौजूदगी को स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपराओं के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।