लखनऊ। उत्तर प्रदेश में फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर अपात्र लोगों के आयुष्मान भारत कार्ड बनवाने और उनका अप्रूवल कराने वालों के खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। सरकार ने ऐसे मामलों में गैंगस्टर एक्ट लगाने का निर्णय लिया है। साथ ही आरोपियों की अवैध तरीके से कमाई गई संपत्तियों की कुर्की भी की जाएगी।
स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की जांच में सामने आया है कि गिरोह के सदस्यों ने हज़ारों अपात्र लोगों के नाम पर आयुष्मान कार्ड बनवाए और इलाज का दावा प्रस्तुत कर सरकारी कोष से भुगतान भी प्राप्त किया। एसटीएफ ने इस मामले में प्रतापगढ़ निवासी गिरोह के सरगना चंद्रभान, इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी (ISA) के अफसरों तथा कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट के आयुष्मान मित्र रंजीत सिंह सहित कई लोगों की भूमिका की पुष्टि की है।
सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसियां अब इन सभी आरोपियों की संपत्तियों का विस्तृत ब्योरा जुटा रही हैं। आरोप है कि अपराध से अर्जित धन से खरीदी गई संपत्तियों की पहचान कर उन्हें कुर्क किया जाएगा। वहीं, गिरफ्तार आरोपियों से बरामद इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से कई अहम डिजिटल साक्ष्य मिले हैं, जिनकी जांच जारी है।
एजेंसी के वर्तमान और पूर्व अफसरों — जैसे बाराबंकी के सौरभ मौर्या, सुजीत कनौजिया और विश्वजीत — के साथ स्टेट हेल्थ एजेंसी (SHA-PMJAY) के अधिकारियों की भी भूमिका की पड़ताल की जा रही है। बताया गया है कि प्राथमिक जांच में गिरोह द्वारा चार हजार से अधिक अपात्र व्यक्तियों के आयुष्मान कार्ड बनवाने की पुष्टि हुई थी।
अस्पतालों की भी हो रही जांच
एसटीएफ ने एजेंसी से उन अस्पतालों का डेटा मांगा है, जहाँ इन अपात्र कार्डधारकों का इलाज करवाया गया था। इस आधार पर यह भी पता लगाया जाएगा कि किन अस्पतालों को सरकारी खजाने से कितना भुगतान हुआ। संदेह होने पर अस्पताल कर्मियों को भी आरोपी बनाया जा सकता है।
एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि बरामद डिवाइसों से गिरोह के नेटवर्क और लेनदेन की महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। जांच आगे बढ़ने के साथ कई और लोगों से पूछताछ की जाएगी।
सरकार का कहना है कि गरीब और पात्र लाभार्थियों के लिए बनी यह स्वास्थ्य योजना किसी भी तरह के फर्जीवाड़े को बर्दाश्त नहीं करेगी।