उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सहारनपुर दंगों से जुड़े मामलों में राहत की मांग करते हुए दाखिल की गई उनकी याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और उनसे संबंधित लंबित आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया।
यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि एक ही दिन हुई अलग-अलग घटनाओं के लिए अलग-अलग एफआईआर दर्ज की जा सकती हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि घटनाएं अलग स्थानों पर, अलग समय पर और अलग पीड़ितों के साथ हुई हैं, तो अलग एफआईआर दर्ज करना कानूनन सही है।
दरअसल, सहारनपुर के कोतवाली देहात थाना क्षेत्र में 9 मई 2017 को हुई हिंसा और आगजनी के बाद पुलिस ने भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ पथराव, आगजनी और सरकारी अधिकारियों पर हमले के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद उसी दिन निजी संपत्ति को नुकसान, भवनों में आगजनी और पुलिसकर्मियों पर हमले से जुड़े अन्य मामलों में भी अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गईं।
सांसद चंद्रशेखर आजाद ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इन चारों एफआईआर और उनसे जुड़े मुकदमों की पूरी कार्यवाही रद्द करने की मांग की थी। उनका तर्क था कि सभी घटनाएं एक ही दिन और एक ही भीड़ द्वारा की गईं, इसलिए एक ही एफआईआर होनी चाहिए थी। वैकल्पिक रूप से उन्होंने यह भी मांग की कि अन्य एफआईआर को पहली एफआईआर के पूरक आरोप पत्र के रूप में माना जाए।
वहीं, राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ये सभी घटनाएं एक बड़ी साजिश का हिस्सा थीं, जो अलग-अलग स्थानों पर हुईं और जिनके गवाह भी अलग हैं। इसलिए अलग-अलग एफआईआर दर्ज करना पूरी तरह न्यायसंगत है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि सभी मामलों में आरोप पत्र दाखिल हो चुके हैं और ट्रायल गवाही के स्तर पर है। कई गवाहों के बयान भी दर्ज हो चुके हैं। ऐसे में इस स्तर पर न्यायालय का हस्तक्षेप करना और कानूनी कार्यवाही को रद्द करना उचित नहीं है।