बिहार की नई एनडीए सरकार में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को गृह विभाग की कमान सौंपे जाने के बाद राजनीति में नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। लंबे समय तक नीतीश कुमार के गृह विभाग को अपने पास रखने की परंपरा इस बार टूट गई है और पहली बार भाजपा के किसी नेता को यह अहम मंत्रालय मिला है। माना जा रहा है कि भाजपा ने यह कदम राज्य में अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए उठाया है।
भाजपा की रणनीति और सम्राट का कद बढ़ने की चर्चा
2025 के विधानसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तारापुर की रैली में कहा था कि जनता सम्राट चौधरी को जिताएगी तो भाजपा उन्हें “बड़ा आदमी” बनाएगी। सम्राट ने तारापुर सीट से 45 हजार वोटों से जीत हासिल की और चुनाव बाद भाजपा ने उन्हें दोबारा उपमुख्यमंत्री बनाया।
अब गृह विभाग मिलने के बाद अमित शाह का वह बयान साकार होता दिख रहा है।
नीतीश ने गृह विभाग छोड़ा, लेकिन नियंत्रण बरकरार
हालाँकि नीतीश कुमार ने गृह मंत्रालय भाजपा को सौंप दिया, पर उन्होंने वित्त विभाग वापस लेकर अपने पाले में कर लिया है। साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) अब भी मुख्यमंत्री के पास है—जिससे IAS, IPS सहित अन्य अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर पर अंतिम अधिकार नीतीश के पास ही रहेगा।
यानी गृह विभाग सम्राट के पास है, लेकिन प्रशासनिक नियंत्रण पूरी तरह अब भी नीतीश की पकड़ में है।
भविष्य की राजनीति: सम्राट बनाम चिराग?
बिहार में यह सवाल लंबे समय से चल रहा है कि नीतीश कुमार के बाद एनडीए में अगला बड़ा चेहरा कौन होगा।
एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान का नाम भी चर्चाओं में रहा, लेकिन उन्होंने अभी बिहार में सक्रिय राजनीति को 2030 तक टाल दिया है।
वहीं सम्राट चौधरी का तेजी से बढ़ता कद भाजपा के भीतर एक नए नेतृत्व की संभावना दिखाता है।
माना जा रहा है कि भविष्य में एनडीए के भीतर सम्राट चौधरी (भाजपा) और चिराग पासवान (सहयोगी दल) दो ध्रुव बन सकते हैं।